साल 2018 को राजनीतिक उथल पुथल, उतार-चढ़ाव और स्कैंडल के लिए जाना जायेगा

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पटना : बिहार में साल 2018 को राजनीतिक उथल पुथल, उतार-चढ़ाव और देश और दुनिया में बहुचर्चित मुजफ्फरपुर सेक्स स्कैंडल के लिए जाना जायेगा. इसके अलावा राज्य की बेटी श्रेयांसी सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर जहां प्रदेश का नाम रोशन किया. वहीं, प्रदेश की टीम ने लगभग दो दशक बाद रणजी ट्राफी में खेलकर खेलप्रेमियों को खुशी का अहसास कराया. प्रदेश में यह साल राजनीतिक परिदृश्य में हुए उलटफेर के लिए भी जाना जायेगा जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस, राजद और जदयू की महागठबंधन सरकार से अलग होकर वापस राजग में जाने का निर्णय किया और कांग्रेस तथा राजद को धता बताकर भाजपा के साथ राजग की सरकार बनायी.

हालांकि, जनता दल के राजग में जाने के इस कदम के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की अगुवाई वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने राजग छोड़ने और महागठबंधन में शामिल होने की घोषणा की. केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने वर्ष के उत्तरार्द्ध में राजग छोड़ने का ऐलान कर दिया. हालांकि, उनकी पार्टी के विधायकों और सांसदों ने कुशवाहा के इस निर्णय के खिलाफ विद्रोह कर दिया और कहा कि वह राजग में बने रहेंगे.

रालोसपा के राजग से अलग होने का निर्णय ऐसे समय में आया जब भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता गंवा चुकी थी और राफेल सौदे को लेकर पार्टी विपक्ष के चौतरफा हमले का सामना कर रही थी. बिहार में राजग में शामिल राजनीतिक दलों के बीच सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान वर्ष के अंतिम हफ्ते में नयी दिल्ली में मीडिया के सामने आये और मीडिया को बताया कि प्रदेश में भाजपा और जदयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जबकि लोजपा को छह सीटें मिली हैं. कई और छोटे दलों के महागठबंधन में शामिल होने के बाद जीत हासिल करने के लिए अब वाम दलों को इसमें शामिल करने के लिए बातचीत चल ही है, हालांकि ये अपनी ही समस्याओं से पीड़ित हैं.

महागठबंधन के सबसे बड़े दल राजद के पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद के कैद में होने के कारण पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है. लालू चारा घोटाले के विभिन्न मामलों में सजा काट रहे हैं. लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने पार्टी की अगुवाई करते हुए राज्य में कई उपचुनावों में जीत हासिल कर प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी और मुजफ्फरपुर सेक्स स्कैंडल के मामले में तेजस्वी ने राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और सीताराम येचुरी जैसे नेताओं के साथ दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना देकर अपने जीवट का परिचय दिया.

इस बीच तेज प्रताप का पत्नी के साथ तलाक लेने का फैसला भी इस साल सुर्खियों में रहा. तेज प्रताप ने यह फैसला शादी के महज छह महीने बाद ही किया था. इसके बाद तेज प्रताप लगातार तीर्थ यात्राएं करते रहे और अपने घर लौटने से उन्होंने मना कर दिया. पार्टी के दो विधायकों इलियास हुसैन और राज बल्लभ यादव को क्रमश: भ्रष्टाचार और बलात्कार मामले में दोषी करार दिया जाने से पार्टी पर असर पड़ा.

बिहार के मुजफ्फरपुर में सरकारी बालिका गृह में 30 लड़कियों के साथ यौन दुर्व्यवहार का मामला सामने आने से पूरा बिहार और देश सकते में आ गया. इस भयावह कहानी की चर्चा देश विदेश में हुई. इसमें एक गैर सरकारी संगठन का मालिक ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी था. मुजफ्फरपुर की घटना से हिली बिहार सरकार ने एहतियाती उपाय करते हुए इसमें शामिल ठाकुर सहित अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

इस यौन दुर्व्यवहार के कारण प्रदेश की सामाजिक कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी और पति चंद्रशेखर वर्मा के साथ जेल जाना पड़ा. नीतीश कुमार की सरकार द्वारा प्रदेश में की गयी शराब बंदी के कारण राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध शराब की जब्ती की गयी. दूसरी ओर बोध गया में धर्म गुरू दलाई लामा के कार्यक्रम स्थल के निकट एक पार्क से बम बरामद किया गया. प्रदेश के कई जिलों में सांप्रदायिक संघर्ष की घटनाएं भी हुईं. इसके अलावा राज्य में भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या किये जाने की घटनाओं के लिए भी इस साल को याद रखा जायेगा.

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