सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की चर्चा के केंद्र में किसान आ खड़ा हुआ है। राजनीतिक दलों ने ऐसा अपनी मर्जी से किया हो, ऐसा बिलकुल भी नहीं है। हकीकत तो यह है कि देश में पिछले तेरह छोटे-बड़े चुनावों का परिणाम यह बताता है कि सत्ता की चाबी उसी दल के हाथ में रही है जिसने किसानों के पक्ष में सबसे ज्यादा आवाज उठायी है।
चाहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत रही हो या हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस और टीआरएस की जीत, हर जगह किसानों को आगे रखने वाली पार्टियों ने बाजी मारी है। इससे इस बात का भी एहसास हो गया है कि 2019 के चुनाव का विजेता किसानों को साधने वाला पक्ष ही हो सकता है।
रविवार को दिल्ली में हुए ‘इंडिया डायलाग’ कार्यक्रम में बोलते हुए जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा होने के बाद भी किसी भी राज्य में किसानों को एमएसपी पर किसानों के फसल की कीमत नहीं मिलती है। ऐसे में फसलों की कीमत बढ़ाना अंतिम उपाय नहीं है।
उपाय तो यह होना चाहिए कि किसान जब चाहे न्यूनतम तय कीमत पर अपनी फसल बेच सके। उन्होंने कहा कि देश का किसान जातियों और सम्प्रदायों में बंटा हुआ है। अगर वह इनकी बजाय कृषि के मुद्दों पर वोट करता तो उसकी हर समस्या का समाधान हो जाता, लेकिन दुर्भाग्य है कि अब तक ऐसा नहीं हुआ है।
पूंजीवाद भी बुरी तरह हुआ फेल
समाजवादी विचारक त्यागी ने कहा कि अगर समाजवाद इस दुनिया में फेल हुआ है तो पूंजीवाद भी बुरी तरह फेल हुआ है। पूंजीवाद के सबसे बड़े चैंपियन अमेरिका और यूरोप में लाखों उद्योगपति असफल साबित हुए हैं और उन्होंने खुद को अपनी सरकारों से दीवालिया घोषित कर दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस समाज के विकास का अंतिम खाका सबसे निचले तबके को प्राथमिकता दिए जाने के बाद ही संभव हो सकती है।
भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए कहा कि मौजूदा सरकार के अच्छे कामों का ही परिणाम हुआ है कि भारत दुनिया की छठीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। जल्दी ही यह छठीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि लोग अब नौकरी नहीं, बल्कि बेहतर नौकरियों की तलाश कर रहे हैं जिसकी वजह से कुछ लोगों को भ्रम होता है कि बेरोजगारी बढ़ गई है।
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने मालवीय से असहमति जताते हुए मोदी सरकार के विकास के दावे को पूरी तरह निराधार बताया। वल्लभ ने कहा कि देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ लघु उद्योग और गैर वर्गीकृत क्षेत्र है। लेकिन सरकार ने नोटबंदी कर इस व्यवस्था की कमर तोड़ दी है जिसके कारण आज इस समय देश में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है। निर्यात दर में बेहद तेज गिरावट दर्ज की गई है।