एक वोट से बिगड़ा भाजपा का खेल राजस्थान में

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नई दिल्ली (समाचार क्यारी/संवाददाता ) राज्यसभा चुनाव में 4 राज्यों की 16 सीटों पर वोटिंग के बाद एक ओर जहां जयपुर और बेंगलुरु में काउंटिंग हो रही थी। वहीं हरियाणा और महाराष्ट्र में वोट खारिज कराने के लिए राजनीतिक दलों की गाड़ियां दिल्ली के चुनाव आयोग दफ्तर का चक्कर काट रही थी। दोपहर 4 बजे शुरू हुआ हाइवोल्टेज ड्रामा करीब 9 घंटे तक चला।

काउंटिंग के बाद हरियाणा से गांधी परिवार के करीबी नेता और कांग्रेस कैंडिडेट अजय माकन निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा से चुनाव हार गए। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की बाड़ेबंदी सफल रही और पार्टी के तीनों कैंडिडेट चुनाव जीत गए। अगर, एक वोट भी पार्टी के तीसरे कैंडिडेट प्रमोद तिवारी को कम मिलता, तो भाजपा यहां जीत सकती थी।

राजस्थान: गहलोत के स्ट्राइक से भाजपा बेदम, क्रॉस वोटिंग भी हुआ
राज्यसभा चुनाव का बिगुल बजते ही कांग्रेस ने अपने विधायकों को जुटाना शुरू कर दिया था, जिस उदयपुर में पार्टी का चिंतन शिविर हुआ था, उसी में सभी विधायकों को ठहराया गया। इधर, बसपा से कांग्रेस में आए और निर्दलीय विधायकों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद मिलते रहे। कांग्रेस ने 4 सीटों में से 3 पर कैंडिडेट उतारे थे। तीन सीट जीतने के लिए 123 वोटों की जरुरत थी। वोटिंग के बाद कांग्रेस को 126 वोट मिले हैं। चुनाव में सुरजेवाला को 43, वासनिक को 42 और तिवारी को 41 और घनश्याम तिवाड़ी को 43 वोट मिले। निर्दलीय सुभाष चंद्रा को 30 वोट मिले। वो चुनाव हार गए।

हरियाणा: कुलदीप विश्नोई ने गांधी परिवार के करीबी माकन को हरा दिया
हरियाणा में भाजपा के उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार का जीतना तो तय था, देर रात ढाई बजे एक वोट के रिजेक्ट होने के बाद निदर्लीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को भी विजयी घोषित कर दिया गया। वोटिंग से लेकर रिजल्ट तक पूरा दिन हाईवोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामा चलता रहा।

हरियाणा में चुनाव परिणाम के बाद कृष्णपाल पंवार और कार्तिकेय शर्मा को मिठाई खिलाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर।

कांग्रेस के आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई जब मतदान कर बाहर आए तो कांग्रेसियों के चेहरों पर चिंता साफ झलकी। हालांकि, उन्होंने पार्टी के एजेंट विवेक बंसल को दिखाकर ही अपना वोट डाला। सूत्रों की मानें तो उन्होंने अजय माकन को वोट देने की बजाय क्रॉस वोट किया है। उन्हें वोटिंग से पहले राहुल गांधी के साथ शाम को मीटिंग का बुलावा भी आया, लेकिन दोपहर होने तक मीटिंग रद्द हो गई। कांग्रेस को विश्वास था कि यदि 31 की बजाए 30 वोट भी मिले तो अजय माकन आसानी से चुनाव जीत जाएंगे। कांग्रेस के दो वोटों के कारण एक बार पेंच अटक गया था।

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