पशुओं से दूध का अधिक उत्पादन लेने के लिए सबसे जरूरी है कि उनको वर्ष भर पौष्टिक व संतुलित मात्रा में हरा व सूखा चारा: उपायुक्त
समाचार क्यारी
झज्जर,संजय शर्मा/ रवि कुमार:- किसानों व पशुपालकों को अपने पशुओं को वर्ष भर पौष्टिक व संतुलित मात्रा में हरा व सूखा चारा मुहैया करवाना चाहिए। हरे चारे की उपलब्धता कम होने पर पोष्टिïक आहार का उपयोग पशुओं के आहार के तौर पर किया जा सके।
डीसी जितेंद्र कुमार ने बताया कि पशुओं से दूध का अधिक उत्पादन लेने के लिए सबसे जरूरी है कि उनको वर्ष भर पौष्टिक व संतुलित मात्रा में हरा व सूखा चारा दिया जाए। उन्होंंने कहा कि हरे-चारे के अभाव में पशु कमजोर हो जाते हैं तथा उनका दूध उत्पादन भी गिर जाता है। उन्होंने कहा कि यदि पशुओं को पौष्टिक हरा-चारा मिलता रहे, तो उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है तथा उनके आहार पर दाना भी कम खर्च होता है, इसलिए मानसून के मौसम में जब भी चारे का उत्पादन अधिक हो तो उसको संरक्षित करके रख लेना चाहिए ताकि वर्ष भर पौष्टिक चारा पशुओं को मिलता रहे।
उप निदेशक पशुपालन डा. मनीष डबास ने जानकारी देते हुए बताया कि अप्रैल से जून व नवम्बर-दिसम्बर के महीनों में हरे-चारे की काफी कमी हो जाती है। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम, खरीफ व रबी में पशु-पालकों के पास चारा उपलब्ध होता है, इसलिए इन दिनों में हरे-चारे को परिरक्षित( प्रिजर्वेशन) करके रखा जाना चाहिए जिसे कमी के समय पशुओं को खिलाया जा सके। उन्होंने किसानों व पशुपालकों को सलाह दी कि किसानों के पास खरीफ के हरे-चारे, ज्वार, मक्का, बाजरा व लोबिया तथा रबी के मौसम में बरसीम, जई, लुर्सन (रिजका) होते हैं और परिरक्षण करते समय इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि चारे की गुणवत्ता पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े तथा परिरक्षित चारे का उपयोग उन महीनों में किया जा सके, जब हरा-चारा उपलब्ध न हो।