जन्म कुंडली: जन्म कुंडली को कई लोग जन्म पत्रिका, वैदिक कुंडली, हिन्दू कुंडली आदि के नाम से भी जानते हैं। ऐसी कुंडली बनाते समय जातक के जन्म के समय नक्षत्रों और ग्रहों की सटिक स्थिति का आंकलन कर फलादेश बनाया जाता है।
जन्म समय के जन्म स्थान के रेखांश व अक्षांश के आधार पर ज्योतिषिय गणना कर सितारों और नक्षत्र के विषय में गणना करने के पश्चात एक ऐसी पत्रिका तैयार की जाती है जिसमें जातक के आने वाले भविष्य के बारें में बहुत ही भविष्यवाणी की जाती है। भारत में ज्यादातर परिवारों में कुंडली के आधार पर ही बच्चों का नामकरण होता है और शादी-विवाह आदि में भी इसको प्राथमिकता दी जाती
माय कुंडली
माय कुंडली आपके भविष्य का मानचित्र है।
कुंडली बनाने का उद्देश्य जन्म के समय की ग्रह स्थिति को समझकर अपने भविष्य, करियर, शिक्षा, संतान तथा विवाह आदि से संबंधित संभावनाओं की आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराना है।
शिक्षा विश्लेषण रिपोर्ट
कुंडली मिलान
विवाह दो आत्माओं का मिलन है इसलिए दोनों की कुंडलियां दोनों के आचार-विचार व व्यवहार का आईना है।
कुंडली मिलान की परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसका मुख्य उद्देश्य वर-वधू का एक दुसरे के साथ सामंजस्य बैठाना है ताकि वैवाहिक जीवन सुखद रहे। इस दृष्टिकोण से कुंडली मिलान काफी महत्वपूर्ण है।