आशंकाओं के बीच शुक्रवार को लोग काम के लिए घरों से बाहर निकलते दिखे और हिंसा प्रभावित इलाकों में कुछ दुकानें एवं अन्य प्रतिष्ठान भी खुले। उधर, हिंसा में शुक्रवार को मृतकों की संख्या बढ़कर 42 हो गई।
निगमकर्मी जहां चार दिन की सांप्रदायिक हिंसा के बाद उत्तर-पूर्व दिल्ली की सड़कों एवं गलियों से पत्थर, कांच के टुकड़े और मलबे साफ करते दिखे, वहीं कुछ दुकानदार अपनी जली हुई और टूटी-फूटी दुकानों का मायूसी से मुआयना करते नजर आए। पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के कर्मी मस्जिदों में जुमे की नमाज के मद्देनजर सख्त चौकसी बरतते नजर आए।
कुछ स्थानों पर दुकानें खुलीं और सड़कों पर कुछ निजी वाहन भी नजर आए। कुछ इलाकों में ऑटो और ई-रिक्शा भी चलने शुरू हुए। लोग जरूरी कार्यों के लिए घर से बाहर निकलने शुरू हुए। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे अफवाहों को रोकने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं और लोगों के बीच भरोसा पैदा करने के लिए प्रभावित इलाकों के आस-पड़ोस में नियमित रूप से फ्लैग मार्च और बातचीत कर रहे हैं।
स्जिदों से शांति की अपील :
दंगा प्रभावित इलाकों की स्थानीय मस्जिदों से शांति एवं सौहार्द बनाए रखने की अपील की गई और घोषणाएं की कि लोग अफवाहों पर यकीन न करें। पुलिस के साथ सहयोग करें। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 42 लोगों की मौत हुई है। उत्तरपूर्व दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, खुरेजी खास और भजनपुरा जैसे इलाकों में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
सात हजार अर्द्धसैनिक बल तैनात :
उत्तरपूर्व जिले के प्रभावित इलाकों में सोमवार से करीब 7,000 अर्द्धसैनिक बल तैनात हैं। शांति कायम रखने के लिए दिल्ली पुलिस के सैकड़ों कर्मी ड्यूटी पर हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार रात को कहा कि पिछले 36 घंटों में उत्तरपूर्वी जिले से कोई भी बड़ी घटना सामने नहीं आई है। स्थिति सुधरने पर धारा 144 के तहत लगाई गई पाबंदियों में 10 घंटे की ढील दी जाएगी।