पाकिस्तान गए इन लोगों की नहीं थी ‘अभिनंदन’ जैसी किस्मत, 4 भारतीय जो लौटकर घर न आए

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पाकिस्तान की जेलों में कई भारतीय कैद हैं, लेकिन उनकी सभी किस्मत विंग कमांडर अभिनंदन जैसी नहीं है। जानिए, ऐसे ही पांच भारतीयों के बारे में, जो आज तक वतन लौटकर ही नहीं आए।

सरबजीत सिंहः इंतजार करती रही पत्नी-बहन, ताबूत में आए
पड़ोसी देश पाकिस्तान की नफरत का शिकार हुआ थे पंजाब के तरनतारन जिले में पाक सीमा से सटे गांव भिखीविंड के सरबजीत सिंह, जो 23 साल पाकिस्तान की जेल में कैद रहने के बाद वतन तो लौटे, लेकिन ताबूत में। उनकी मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। मई 2013 में उन्होंने पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में दम तोड़ दिया था। उनका पार्थिव शरीर भारत लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। कई प्रयासों के बाद भी उन्हें जिंदा वतन वापस नहीं लाया जा सका था।

कैदी चमेल सिंह ने भी उसी जेल में दम तोड़ दिया था
पाकिस्तान की कुख्यात कोट लखपत जेल में ही जनवरी, 2013 में एक और भारतीय कैदी चमेल सिंह की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। करीब 60 साल के चमेल सिंह को उसी अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, जिसमें सरबजीत ने दम तोड़ा है। कथित तौर पर जासूसी में लिप्त होने के मामले में उसे पांच साल की सजा सुनाई गई थी। उस समय दावा किया गया था कि पोस्टमार्टम की शुरुआती रिपोर्ट ने इस बात के संकेत दिए कि चमेल सिंह को काफी प्रताड़ित किया गया। हालांकि जेल प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था।

किरपाल सिंहः 13 साल रहा सेना में और मौत मिली पाकिस्तान में
पंजाब के गुरदासपुर जिले के गांव मुस्तफाबाद सैंदा निवासी किरपाल सिंह 1991 में अचानक घर से गायब हुए और दोबारा लौटकर नहीं आ सके। भतीजे अश्वनी कुमार ने बताया कि उसके चाचा 13 साल तक सेना में रहे और घर आए फिर अचानक गायब हो गए। किरपाल को 1991 में पाकिस्तान के फैसलाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए बम धमाके का आरोपी बनाया गया था। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण परिवार उसकी रिहाई की पैरवी नहीं कर सका। पाक अदालत ने 20 मई 2002 को भारतीय कैदी किरपाल को पांच बार मौत की सजा, 60 साल की कैद और 27 लाख जुर्माना किया। कुछ अर्से बाद उनका खत मिला था कि वह पाकिस्तान की जेल में है। अप्रैल 2017 में इनकी मौत की खबर आई।

बलविंदर सिंहः बेटी ने पीएम मोदी को लिखा था मार्मिक पत्र
पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैद भारतीय सैनिक बलविंदर सिंह को शहीद करार दिया गया था, लेकिन पिता के जिंदा होने की खबर सुनकर बलजिंदर कौर खुशी से फूली न समाईं। अब उन्हें डर सता रहा है कि कहीं उसके पिता का हाल भी सरबजीत सिंह जैसा न हो जाए। इसके लिए बलजिंदर कौर ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है, उन्होंने लिखा प्रधानमंत्री साहब जैसे दो वर्ष बाद आपको अपनी मां को मिलकर बहुत खुशी महसूस हुई थी, उसी प्रकार आप यह सोचे कि मैं अपने जिस बाप को जन्म के बाद देख नहीं सकी, उनका प्यार मुझे मिल जाए तो मेरी दुनिया तो बदल ही जाएगी। इसके साथ ही आपको उन सैनिकों के परिवारों का आशीर्वाद मिलेगा जो अभी भी पाकिस्तान की जेलों में जिंदगी और मौत बीच जिंदा हैं। पंजाब के तरनतारन जिले के गांव चब्बा कलां निवासी बलजिंदर कौर ने अपने पिता बलविंदर सिंह के ‘दीदार’ (दर्शन) करने लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह लिखा था पर अभी तक कुछ नहीं हो पाया।

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