भारत की सरकार को निश्चित रूप से उन लोगों को अपराधी घोषित करना चाहिए, जो भारत की जनता को गुमराह कर रहे हैं। इसके पहले भारत को यह तय करना चाहिए कि ये लोग हैं, जो जनता को समझा रहे हैं, किसी भी तरह के संतति नियमन का उपयोग महा-अधर्म है, महापाप है। यह उनकी राजनीति है, कोई धर्म नहीं है। क्योंकि मदर टेरेसा को जितने अनाथ बच्चे मिल जाते हैं, उतनी कैथोलिकों की संख्या बढ़ा जाती है।
हम ऐसे मूढ़ हैं कि हम मदर टेरेसा जैसी औरतों को पुरस्कार पर पुरस्कार दिए चले जाते हैं, बिना यह देखे कि गरीबों की सेवा के नाम के पीछे, अनाथों की सेवा के नाम वे पीछे सिवाय ईसाइयत के प्रसार के और कुछ भी नहीं है। पूरे हिंदुस्तान में मैंने एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं देखा जो सुसंस्कृत हो, सुसंपन्ना हो और ईसाई बन गया हो।
जो भी ईसाई बने हैं, वे भिखारी हैं, अनाथ हैं, आदिवासी हैं। फिर वे ईसाई इसलिए नहीं बने हैं कि वे समझ गए हैं कि ईसाइयत उनके धर्म से श्रेष्ठतर धर्म है, बल्कि इसलिए कि ईसाइयत उनको रोटी दे रहे है, कपड़े दे रही है, अस्पताल दे रही है, स्कूल दे रही है। जो भी व्यक्ति भारत में संतति-नियमन का विरोध सिखाता है, उसे दंडित किया जाना चाहिए।
इस समय सब से बड़ा अपराध वही है। एक आदमी को मार डालने के लिए तो हम कितनी बड़ी सजा देते हैं कि उसकी जान ले लेते हैं अपराधी की, और जो लोग आज समझा रहे हैं कि जनसंख्या को बढ़ने दो, ये करोड़ों लोगों की हत्या के लिए जिम्मेवार होंगे, और इनके लिए हमारे पास कोई अपराध का नियम नहीं है उलटे हम इन्हें नई-नई पदवियों, डाक्टरेट, और नोबेल प्राइज से पुरस्कृत करते हैं। यह दोहरी चाल बंद करनी होगी।