नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के इलाके पुलवामा में 40 जवानों की शहादत के बाद पुलवामा के पिंगलेना में सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ चलाए गए कोरडन ऑपरेशन में शहीद हुए हरियाणा के लाल हरी सिंह का मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 10 महीने के बेटे लक्ष्य ने शहीद पिता को मुखाग्नि दी। शहीद के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी। हरी सिंह रेवाड़ी ज़िले के राजगढ़ गांव के रहने वाले थे। उनकी आयु 25 वर्ष थी।
हर किसी को इस शहादत पर जहां गर्व हो रहा था, वहीं उनके चेहरों पर गम व गुस्सा भी दिखाई दे रहा था। जमा लोगों ने शहीद हरी सिंह अमर रहे के गगनभेदी उद्घोष किए। अंतिम सफर के लिए जब शहीद का काफिला निकला तो उसमें बच्चे, वृद्ध, महिलाएं फूट-फूट कर रोते दिखाई दिए।
खबर मिली थी कि शहीद का पार्थिव शरीर मंगलवार की सुबह 9-10 बजे गांव पहुंचेगा। खबर मिलते ही दिल्ली-जयपुर हाइवे से गांव तक लगभग 15 किलोमीटर के बीच में सैकड़ों लोग श्रद्धांजलि देने के लिए फूलमालाएं लेकर खड़े थे। इनमें बड़ी संख्या स्कूली बच्चों की भी थी। सेना के वाहन में जब पार्थिव शरीर राजगढ़ स्थित जवान के घर पहुंचा। तो उसकी वृद्ध मां पिस्ता देवी, पत्नी राधा देवी व परिजन अपने को काबू नहीं रख पाए और ताबूत से लिपटकर रो पड़े। राधा की गोद में इकलौता 10 महीने का मासूम बेटा लक्ष्य इस नजारे को देख-देख कर रोए जा रहा था।
वह अपने पिता की शहादत से बेखबर था। पत्नी बेहोशी की हालत में थी और मां निढाल हो चुकी थी। शहीद बेटे को गले से लगाकर माँ बोली कि जाते-जाते एक बार छाती से तो लगा जाता। मीठी-मीठी बात करके चला गया। पड़ोस की महिलाएं दोनों को पानी पिला-पिला का ढाढस बंधा रही थी। तीनों बहनों का भी रो-रोकर बुरा हाल था। शहीद की तीनों बहनों का कहना था कि बहनें भाइयों का तो हररोज बलिदान दे रही हैं। एक बार पाकिस्तान को खत्म कर दो कम से कम रोज-रोज बहनों के भाई तो कुर्बान नहीं होंगे।