पिछले दिनों पांच राज्यों में हुए चुनाव में बेहतर प्रदर्शन से उत्साहित कांग्रेस बिहार में भी अपना पुराना प्रोफाइल वापस हासिल करने में जुट गई है। 1990 से पहले तक अधिकांश समय सत्ता में रहने वाली कांग्रेस प्रदेश में पिछले 20 सालों में केवल दो बार ही वोट फीसद के मामले में दो अंकों का आंकड़ा पार कर सकी है।
पार्टी अपना वोट फीसद बढ़ाने के लिए दोहरी नीति अपनाएगी। ‘स्प्लिट’ एवं ‘स्विंग’ के फार्मूले को अपनाकर वोट प्रतिशत बढ़ाया जाएगा।
‘स्प्लिट’ के तहत कांग्रेस केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एवं राज्य की नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को हवा देने का प्रयास करेगी, ताकि सत्ताधारी दल, मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू), के वोट में सेंधमारी हो सके।
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरखू झा ने कहा कि भाजपा के साढ़े चार साल के कार्यकाल और नीतीश सरकार के महागठबंधन से अलग होने के बाद की स्थिति को मुद्दा बनाया जाएगा।
राफेल से लेकर किसानों की दयनीय स्थिति आदि मुद्दों को लेकर पुस्तिका प्रकाशित होगी। नीतीश सरकार में शिक्षा, स्वास्थ्य और विधि व्यवस्था में आई गिरावट जैसे मुद्दों को लेकर भी जनसंपर्क अभियान चलेगा। पार्टी का नवगठित रिसर्च विभाग इन बिन्दुओं पर काम कर रहा है।