सूचना आयोग ने सीबीआई से कहा कि 2014 से 2018 के बीच भ्रष्टाचार की जिन शिकायतों को बिना एफआईआर के बंद कर दिया गया है, उनकी प्राथमिक जांच को उजागर किया जाए।
“भ्रष्टाचार की शिकायतों में सीबीआई आरटीआई दायरे से बाहर नहीं”
इस संबंध में मार्च 2018 में एक आरटीआई दाखिल की गई थी। आयोग ने आरटीआई दाखिल करने वाले के उस नजरिए का भी समर्थन किया, जिसमें उसने कहा था कि सीबीआई आरटीआई के दायरे में भले ही नहीं आती हो, लेकिन भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों के बारे में जानकारी उजागर करने से उसे छूट नहीं मिली हुई है।
“जानकारी साझा करने से सीबीआई का ढांचा मजबूत ही होगा”
सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने कहा- आयोग ने लोक सूचना अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि 2014 से 2018 के बीच जांच एजेंसी ने जिन शिकायतों पर केस रजिस्टर नहीं किए और उन्हें बंद कर दिया, उनका शुरुआती जांच नंबर, आरोपों की जानकारी, शुरुआती जांच शुरू और खत्म करने की तारीख के बारे में जानकारी मुहैया करवाएं।
उन्होंने कहा कि आरटीआई दाखिल करने वाले ने शुरुआती जांच के दौरान पारदर्शिता और ईमानदारी की कमी की समस्या है, क्योंकि यह लोगों की जानकारी में नहीं आ पाती है। यह जानकारी केवल लोगों के हितों के लिए मांगी गई है और इसमें याचिकाकर्ता का कोई निजी हित नहीं है।