बहादुरगढ़। अगर आप हरियाणा रोडवेज की बसों में सफर कर रहें हैं तो आपके लिए ये खबर बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि बहादुरगढ़ रोडवेज डिपो से जाने वाले किसी भी बस के अंदर फायर सेफ्टी यंत्र नहीं लगा है। बस के अंदर आग लग जाए तो आपकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। इसके साथ ही पूरी बस में कहीं प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स नहीं लगा है। इस डिपो से हर रोज लगभग हजारों यात्रियों का बस से आना-जाना लगा रहता है। बस में आग लगने की स्थिति में इमरजेंसी विंडो भी नहीं खुलेगी। हालांकि अधिकारी जल्द ही बसों में फायर सेफ्टी यंत्र लगाने की बात कह रहे हैं। रोडवेज की पुरानी से लेकर नई बसों में न तो फायर सेफ्टी यंत्र है और न ही प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स। आपात स्थिति में बस की इमरजेंसी विंडो भी नहीं खुलती है। यह हाल किसी एक बस का नहीं बल्कि डिपो में आने वाली सभी बसों का है। हालांकि विभाग द्वारा वर्कशॉप लगाकर रोडवेज चालकों को आग से निपटने के लिए बस में लगे फायर एक्सटिंग्शर को चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन जब बस में यह यंत्र ही नहीं होगा तो ऐसे में ट्रेनिंग का क्या फायदा। विभागीय सूत्रों की मानें तो कई बसों का सालों से फिटनेस परीक्षण भी नहीं हुआ है बहादुरगढ़ बस डिपो में खड़ी बसों में पड़ताल की तो बस में न तो फायर सेफ्टी एक्सटिंग्शर और न ही प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स किसी भी बस में लगा था। आपात स्थिति में भी यात्रियों की जान भगवान भरोसे है। बस में फर्स्ट एड बॉक्स भी नहीं लगा तो मरहम पट्टी व दवा दूर की बात है। हरियाणा रोडवेज की बहादुरगढ़ डिपो में लगभग 60 बसें हैं। जो रोजाना 18 से 20 हजार किलोमीटर से ज्यादा सफर करती हैं। ये बसें जरूरत के हिसाब से बेहद कम है। इन बसों की बाहर से तो स्थिति ठीक-ठाक है, लेकिन वो चलने में काफी ढीली हैं। इन दिनों बहादुरगढ़ डिपो से चलने वाली अधिकतर बसों के टावर भी कमजोर नजर आ रहे हैं। खास बात यह है कि 45 डिग्री तापमान में भी रबड़ चढ़े हुए टायर बसों में चढ़ाए गए हैं। इससे दुर्घटना होने की आशंका भी बनी रहती है। रोडवेज चालक ने नाम छापने की शर्त पर बताया कि लंबी रूट में चलने वाली बसों के टायर तो दूर की बात है। सही से नट बोल्ट भी नहीं कसे जाते हैं। बहादुरगढ़ वर्कशॉप में कारीगरों की भी कमी है। इसके चलते बसें तो बगैर ठीक हुए सड़कों पर दौड़ती हैं। अधिकारी भी इस तरफ ध्यान नहीं देते।
बगैर फायर सेफ्टी सिस्टम के चल रही बसें
