उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित वेदांता के स्टरलाइट संयंत्र को दोबारा खोलने की मंजूरी देने से सोमवार को इनकार कर दिया लेकिन उसे उच्च न्यायालय जाने की छूट दे दी। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि उसने तमिलनाडु सरकार की अपील को सिर्फ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के प्रभावी होने के आधार पर अनुमति दी है। पीठ ने कहा कि अधिकरण को संयंत्र दोबारा खोलने की अनुमति देने का कोई अधिकार नहीं है।
शीर्ष अदालत वेदांता समूह की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अधिकरण का आदेश लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। अधिकरण ने स्टरलाइट संयंत्र बंद करने का सरकार का निर्णय निरस्त कर दिया था। तमिलनाडु सरकार ने भी शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी जिसमें उसने कहा था कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने स्टरलाइट संयंत्र के संबंध में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कई आदेशों को त्रुटिपूर्ण तरीके से निरस्त कर दिया।
राज्य सरकार ने कहा था कि अधिकरण ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सहमति के नवीनीकरण के बारे में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया था। अधिकरण ने 15 दिसंबर को स्टरलाइट संयंत्र बंद करने का राज्य सरकार का आदेश यह कहते हुये निरस्त कर दिया था कि यह अनुचित है और कानून के समक्ष टिकने योग्य नहीं है। शीर्ष अदालत ने आठ जनवरी को अधिकरण के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।
न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के 21 दिसंबर, 2018 के फैसले पर भी रोक लगा दी थी जिसमें संयंत्र पुन: खोलने के संबंध में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया गया था। गौरतलब है कि इस संयंत्र से हो रहे प्रदूषण को लेकर पिछले साल मई में तूतीकोरिन में विरोध प्रदर्शन किए गए थे। इसी दौरान 22 मई को स्टरलाइट तांबा संयंत्र के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई थी। इसके छह दिन बाद 28 मई को राज्य सरकार ने संयंत्र को ‘‘स्थायी’’ रूप से बंद करने का आदेश दिया था।