भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत और पाकिस्तान सहित दक्षिण एशिया के देशों के बीच व्यापार सहयोग बढ़ाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों को भारत के एकाधिकार की चिंता छोड़ देनी चाहिए क्योंकि प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ ही इस चिंता का हल हो जाएगा।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक में दक्षिण एशिया के लिए रणनीतिक परिदृश्य पर सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ विविध प्रकार की मजबूती और चुनौतियों को साझा करता है।
शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजन ने कहा कि अपने पड़ोसी देशों की तरह भारत के लिए भी प्रमुख चुनौती रोजगार सृजन की ही है। उन्होंने कहा कि हाल के समय में भारत ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है और ऐसी कोई वजह नहीं है कि वह आगे बढ़ना जारी नहीं रखेगा।
राजन ने कहा कि मेलमिलाप कभी समस्या भी पैदा करता है। हमने देखा है कि यूरोपीय संघ में मेलमिलाप से चिंता पैदा हुई, लेकिन दक्षिण एशिया इस मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
उन्होंने कहा कि हमने देखा था कि जर्मनी और फ्रांस एक दूसरे से उलझे रहते थे, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद उन्होंने कोयला और इस्पात क्षेत्र में सहयोग किया और उसके अच्छे नतीजे आए।
राजन ने कहा कि बिजली ऐसा क्षेत्र है जिससे इसकी शुरुआत हो सकती है। बिजली का उत्पादन किसी एक देश में होता है और उसे दूसरे देश में बेचा जाता है। उन्होंने कहा जैसे कि भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही पानी को बांटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि देशों के बीच अधिक संपर्क सड़क होनी चाहिये और पुलों का निर्माण किया जाना चाहिये।
राजन ने कहा कि भारत को लेकर पड़ौसी देशों में एकाधिकार का डर बना रहता है, ‘‘लेकिन मैं आपको कहना चाहता हूं कि ऐसा नहीं होगा।’’ उदाहरण के तौर पर बांग्लादेश में बड़ा कपड़ा क्षेत्र है, इसमें वह भारत को कड़ी प्रतिस्पर्धा टक्कर दे सकता है।