केंद्र सरकार देश के किसानों को एक के बाद एक सौगात दे रही है। सोमवार को सरकार ने किसानों को 3 लाख रुपये तक के कर्ज लेने की प्रक्रिया में किसी भी तरह से शुल्क से मुक्त कर दिया है। अब किसानों को प्रोसेसिंग, इंस्पेक्शन फीस या सर्विस चार्ज नहीं देना होगा। इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने इस संबंध में सभी सरकारी बैंकों को निर्देश जारी कर दिया है।
किसानों को कृषि ऋण और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर कर्ज लेने के दौरान किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना होगा। पहले विभिन्न बैंकों द्वारा यह शुल्क ऋण मुहैया कराने से पहले प्रक्रिया या अन्य के नाम पर कुछ प्रतिशत तक किसानों से वसूला जाता था। कृषि सचिव द्वारा 6.95 केसीसी को लेकर सभी राज्यों को पत्र लिखा गया है। इसमें ज्यादा से ज्यादा किसानों को केसीसी मुहैया कराने के लिए कहा गया है।
जबकि दूसरी ओर आईबीए ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि कोई भी शुल्क किसानों से तीन लाख रुपये तक कर्ज लेने में नहीं लिया जाएगा। यह निर्देश बैंकों के प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को आईबीए द्वारा जारी किया है। बैंकिंग विशेषज्ञ रवि सिंह के मुताबिक बैंकों द्वारा मौजूदा समय हरेक ऋण के लिए प्रोसेसिंग फीस के नाम पर एक प्रतिशत तक शुल्क वसूला जाता है।
सभी बैंकों का शुल्क अलग-अलग है, इसमें कोई समानता नहीं है। चाहे वह गृह ऋण हो या फिर कृषि के लिए लिया जा रहा कर्ज। ऐसे में कर्ज लेनने वाले व्यक्ति पर अतिरिक्त भार पड़ता है। आईबीए द्वारा जारी किया गया फरमान किसानों के लिए वाकई राहत भरा है। आईबीए ने निर्देश में बैंकों को प्रोसेसिंग, इंस्पेक्शन, लेजर फोलियो शुल्क या फिर सर्विस चार्ज तथा अन्य किसी नाम पर किसानों से शुल्क नहीं वसूलने को कहा है।
हालांकि कर्ज की राशि तीन लाख रुपये तक निर्धारित है, यानी इस धनराशि से ऊपर किसान द्वारा कर्ज लिया जाता है तो उस पर बैंकों द्वारा यह शुल्क वसूला जा सकता है। आईबीए की प्रबंधन समिति द्वारा लिए गए फैसले के बाद खासतौर पर छोटे और सीमांत किसानों को दोहरी राहत मिलेगी। गौरतलब है कि बजट में सरकार ने छोटे किसानों को सालाना छह हजार रुपये तीन किश्तों में मुहैया कराने की घोषणा की है। पहली किश्त लोकसभा चुनाव से पहले जारी कर दी जाएगी।