अश्लील वेबसाइट देखने से रोकने के लिए सरकार के प्रयास विफल

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नागरिकों को अश्लील वेबसाइट देखने से रोकने के लिए सरकार के प्रयास विफल नजर आ रहे हैं। ऐसा कहना है वेबसाइट एनालिटिक्स डाटा का। सरकार ने 827 वेबसाइट पर प्रतिबंध लगाने का आदेश बीते साल अक्तूबर में दिया गया था।

इसके विपरीत, बीते कुछ महीनों में इंटरनेट पर अश्लील कंटेट देखने वालों की संख्या अधिक रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो कंटेंट इन अश्लील वेबसाइट पर उपलब्ध था वो दूसरी साइटों पर शिफ्ट कर दिया गया।

सिमिलरवेब नाम की वेब एनालिटिक्स कंपनी ने 59 प्रतिबंधित वेबसाइट का डाटा शेयर किया, इसमें पता चला कि 2018 में जनवरी और अक्तूबर माह के बीच हर महीने औसतन 1.7 बिलियन लोग प्रतिमाह वेबसाइट पर विजिट कर रहे थे। इसके बाद नवंबर से दिसंबर के बीच में ये संख्या कम होकर प्रति माह 0.8 बिलियन रह गई। ये संख्या प्रतिबंध होने के बाद 50 फीसदी गिर गई। लेकिन लोगों की अश्लील वीडियो देखने को लेकर चाह बिल्कुल कम वहीं हुई। लोग ऐसी वीडियो देखने के लिए उन 441 वेबसाइट पर जाने लगे जो बैन नहीं हैं।

डाटा बताता है कि इन वेबसाइटों पर प्रतिमाह जनवरी से अक्तूबर 2018 के बीच 0.6 बिलियन विजिट हुआ करती थीं। साथ ही नवंबर और दिसंबर के बीच इनपर औसतन 2 बिलियन विजिट हुआ करती थीं। यानी नवंबर और दिसंबर के बीच दोनों तरह की वेबसाइटों पर कुल 2.8 विजिट की गईं। जो कि जनवरी और अक्तूबर के बीच की औसतन 2.3 विजिट से अधिक है।

सिमिलर वेब का कहना है कि वह कुछ अन्य प्रतिबंधित अश्लील वेबसाइट के डाटा को साझा नहीं कर सकता क्योंकि वो अधिक लोकप्रिय नहीं हैं। साथ ही वे विश्वसनीय भी नहीं हैं। लेकिन अंत में निष्कर्ष यही निकलता है कि भारत में अश्लील कंटेंट देखने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। लोग प्रतिबंधित वेबसाइट पर जब अश्लील कंटेंट नहीं देख पाए तो उन्होंने उन वेबसाइटों का सहारा लिया जो प्रतिबंधित नहीं हैं।

बता दें बीते साल अक्तूबर में केंद्र सरकार ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स से 827 पॉर्न वेबसाइट ब्लॉक करने की बात कही थी। सरकार ने ये फैसला उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद लिया था। जिसमें कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह 2015 के अपने पुराने आदेश को दोबारा लागू करे, जिसमें उन वेबसाइट को बंद करने की बात कही गई थी, जिनमें अश्लील कंटेंट था। ये आदेश इसलिए दिया गया था क्योंकि ये माना जाता है कि अश्लील कंटेंट को देखने से यौन शोषण के मामले बढ़ते हैं। इसके बाद कई तरीके से बताया गया कि जिस प्रकार प्रतिबंध को काम करना चाहिए वह नहीं हुआ।

एक विश्लेषण में पाया गया कि प्रतिबंधित वेबसाइट में से 42 फीसदी (827 में से 345) आज भी इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध हैं। भारतीय इन तक पहुंचने में सक्षम हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग  वेबसाइट के आगे http न लगाकर https लग रहे हैं। इन एक्सेसिबल वेबसाइट में तीन भारतीय टॉप वेबसाइट भी शामिल हैं।

सिमिलरवेब डाटा के अनुसार अश्लील वेबसाइट देखने वालों की संख्या बढ़ी है। दिसंबर में पोर्नहब ने घोषणा की थी कि उसका 2018 में तिहाई ट्रैफिक भारत से आया है। मार्च से अधिक ट्रैफिक नवंबर से दिसंबर 2018 के बीच में मिला। वेबसाइट प्रतिबंध होने के बाद पोर्नहब ने भारतीयों के लिए मिरर डोमेन की घोषणा की थी। इस डोमेन पर भारत से 7 मिलियन विजिट की गईं। वो भी केवल दो महीने में।

वहीं साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक अश्लील वेबसाइटों पर लगाया गया यह प्रतिबंध पूरी तरह से समय और पैसे की बर्बादी है। अश्लील कंटेंट इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध है और इस पर पूरी तरह से रोक लगाना नामुमकिन है। अगर सरकार इस पर पूरी तरह से रोक लगाना चाहती है तो इसके लिए उसे हर साल करोड़ो रुपये खर्च करके अपने वेब कंटेंट फिल्टरिंग सिस्टम को अपडेट रखना होगा।

साइबर जानकारों की मानें तो अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाना पूरी तरह से बेकार प्रयोग है। हालांकि, यह एक अच्छे काम के लिए उठाया गया कदम है लेकिन इसमें सफलता मिलने की उम्मीद बेहद कम है। अमेरिका और चीन इसका जीता जागता उदाहरण हैं। इन दोनों देशों ने भी अपने यहां कुछ इसी तरह का प्रयोग किया था लेकिन वे नाकाम रहे थे, जिसके बाद उन्होंने अपना दायरा केवल बाल यौन दुराचार तक ही सीमित कर लिया।

वेबसाइट्स इंटरनेट का केवल एक पहलू मात्र हैं। ऐसे कई कम्यूनिकेशन प्रोटोकॉल हैं जिनका उपयोग करके इंटरनेट उपभोक्ता इन कंटेंट्स तक पहुंच सकते हैं। भले ही वेबसाइटों पर अश्लील सामग्रियों को देखना प्रतिबंधित हो लेकिन कुछ तकनीक का प्रयोग करके इनको डाउनलोड भी किया जा सकता है।

जानकारी के मुताबिक केवल कुछ ही वेबसाइट को प्रतिबंधित किया जा सकता है इंटरनेट पर इस वक्त करीब 10 हजार से ज्यादा पॉर्न वेबसाइट उपलब्ध हैं। इसके अलावा कई ऐसी वेबसाइट्स भी हैं जिनपर अभी तक किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया। देशभर में कोई भी इन वेबसाइट्स को केवल एक गूगल सर्च के जरिए आसानी से खोल सकता है।

केवल नवंबर माह में भारत से प्रोक्सी साइट करीब 2.3 मिलियन बार विजिट की गईं। यह कहना है कॉमस्कोर का। जो एक वेब एनालिटिक्स कंपनी है। ये संख्या भी प्रतिबंध के फैसले के बाद और बढ़ी है। कॉमस्कोर के अनुसार जिन 500 वेबसाइट पर सबसे अधिक विजिट किया जाता है, उनमें से केवल 59 ही बंद हैं। यानी टॉप 10 में से 5। पोर्निस्तान के लेखक का कहना है कि इंटरनेट पर कुछ भी बैन करना नामुमकिन है। चीन में भी ऐसी 20 हजार वेबसाइट बैन की गईं लेकिन लोग आज भी अलग तरह से ये सब देख रहे हैं। हर रोज नई वेबसाइट आ रही हैं।

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